“हे राम कब आओगे तुम” by Sri Shivananda, 2014
“हे राम कब आओगे तुम”
राम नही –
रावण एक आदर्श बनचुका है,
मानव का ।
काल की जीत, शक्ति को एकत्रित कर,
पुरे विश्व को
अपना गुलाम बना लेना चाहता है,
अपने अत्याचारों से-
गर्वित हो उठता है
एक रावण के मरते ही यहाँ हजारों,
रावण जन्म ले लेते है
आत्मा का मरण ही यहाँ जीवन –
कहलाने लगा है !
कैद कर दी गयी है यहाँ मानवता –
अशोकवाटिका में!
“हे राम कब आओगे तुम इस-
सोने की लंका में कैद,
मानवता को मुक्त कराने ।।