ॐ नमः शिवाय
हिमालय के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री। ये चारों धामों की महिमा, महत्व के बारें मे मै आप सबको बताऊंगा।
कल से इस यात्रा का आंनद कथा के रुप में शुरु करुँगा। हमारी यात्रा कल ऋषिकेश से शुरू होगी। मै आपको इन धामों की शक्ति महिमा का विस्तार मे वर्णन करूँगा।जय विश्व।।बाबाजी।।
ऊं नमः शिवाय
मैं बहुत ही खुश हूं की हमें ये एक साथ चार धाम यात्रा कथा का अवसर मिला।हमारा भारत देश हमेशा तो आलौकिक शक्तियों और धार्मिक स्थलों से भरा है।गली- गली कण-कण में जहाँ मंदिर आरती पूजन का आंनद बहता रहता है।उनमें से हिमालय के चार धामों की महिमा का आंनद मै सबको सुनाऊंगा। मै आपके साथ आप मेरे साथ मिलकर इस यात्रा कथा का आंनद लेगें।मै इस यात्रा मे कुछ प्रमुख स्थानों के बारे मे बताऊँगा,मेरी ईच्छा है आप इस यात्रा का पूर्ण आंनद लें।ये पूरी यात्रा पन्द्रह से बीस दिन मे पूर्ण होगी।मै हर दिन हर जगह के बारे में थोड़ा ही लिखूगाँ।ताकी आपका धैर्य और आंनद बना रहे।।इस यात्रा से जुड़ाँ कोई भी सवाल होगा तो आप निसकोंच पूछ सकते है चलिऐ तो हम चलते हैं।एक आद्यात्मिक सफर में।।
बोलो बाबा की जय।।
जगदम्बे मात की जय।।
पाँचवा दिन-ऋषिकेश से चम्बा
ऋषिकेश मे वक्त बीताने के बाद माँ गंगा,आश्रम,योग,राफटिग,मंदिर दर्शन,पूजन के बाद अब हम ऋषिकेश से चम्बा जायेंगे। जो की पहाड़ो मे बसा एक सुंदर गाँव है।
छठा दिन—ऋषिकेश से यमुनोत्री की ओर
वैसे तो ऋषिकेश से यमुनोत्री जाते वक्त, चम्बा जाने की जरूरत नही होती है।ऋषिकेश से दूसरे मार्गों से यमुनोत्री पहुँचा जाता है।ऋषिकेश से देहरादून, मसूरी होकर जा सकते है।पर यात्रा के दौरान मैने सोचा आपको इस सुंदर जगह का भी आनंद लेने दूँ।और बागेश्वर मंदिर भी चम्बा मे नही आता ये कुमायुं गढ़वाल अर्थात उतराखण्ड के दूसरी जगह मे आता है।पर आपको इस जगह का महत्व और आंनद प्राप्त हो इसलिए मैने कल इन दो जगहों का विवरण दिया आप सबको जरूर इन दो जगहों का आंनद आया होगा।हमको यमुनोत्री के लिए इन दोनो ही जगह जाने की जरूरत नही पड़ेगी।पर यात्रा कथा मे इन दोनो जगह का भी आंनद मिला।।तो कल की हमारी यात्रा ऋषिकेश से चम्बा दर्शन की थी।तो चम्बा मे बैठ कर हमने बागेश्वर महादेव के मंदिर और उसके पीछे के इतिहास को जाना।आप सबको इस धाम का दर्शन भी प्राप्त होगा।अब हम चम्बा से लौट कर ऋषिकेश वापिस आते है। तो आज ऋषिकेश से माँ यमुना के दर्शन की यात्रा शुरु करते हैं।ऋषिकेश से देहरादून होते हुये हम मसूरी ओर जोएंगे।
सातवां दिन-यमुनोत्री की ओर
लाखामंडल मे शिव मंदिर और ऐतिहासिक भवानी गुफा दर्शन पाकर।प्रकृति का आंनद और मन मे जोश और भोले बाबा के नाम के जयकारों के साथ आगे की यात्रा की ओर बढेगे।लाखामंडल से हम हिमालय के एक और सुंदर स्थान पर आ पहुंचे हैं।जिसका नाम मे बड़कोट आईए जानते है।इस सुंदर गांव की कुछ खास बातें।
आँठवा दिन–यमुनोत्री दर्शन
पहाड़ो के रास्ते का आंनद लेते।और हर जगह का महत्व जानते हुऐ।हम कल आ पहुँचे।जानकचट्टी।।ये वो स्थान है।जहाँ से यात्री आगे की छह किलोमीटर पैदल यात्रा करते हैं।क्योंकि आगे गाड़ी नही जा सकती।यहाँ से आगे धोड़ा,पालकी,पीठू,के साथ आगे बढ़ना पड़ता है।जो कि थोड़ा आंनदमय,थोड़ा थकान भरा रास्ता है।चलो आगे बढ़ते हैं।