| Char Dham Yatra in Hindi |

| Char Dham Yatra – Towards Gangotri, Day 14 |


चौदहवां दिन-गंगोत्री की ओर।

कल मुखवा गाँव से शाम रहते हम हरसिल लौट आये। हरसिल में वक्त बिताने के बाद,वहाँ की सौंदर्यता को मन मे बसाने के बाद आज हम गंगोत्री धाम की ओर बढ़ेगे।ये प्रकृति का सौदंर्य ऐसा है।कि किसी को भी आगे बढ़ने की ईच्छा नही हो रही।नदी पहाड़ और गांव का सादा जीवन ये सबने मिलकर मन को बस मे कर लिया।बैसे तो यहाँ आस पास बहुत सारी ट्रेकिग हैं ट्रेकिगं के शोैकीन यहाँ अच्छा समय बिता सकते हैं।पर समय के साथ हमे आगे बढ़ना होगा। 2दिन हरसिल की वादियों मे समय बिताने के बाद हर कोई इसका दिवाना हो गया।अब जल्दी से अपनी गड़ियों के बैठ जाओ।आज गंगोत्री धाम का दर्शन पाऐंगे।जयकार के साथ आगे बढतें हैै।जय बोलो गंगा माई की जय।

| Char Dham Yatra – Gangotri Darshan, Day 15 |


पन्द्रहवाँ दिन—गंगोत्री दर्शन

कल हम गंगोत्री पहुँच गये तो वहाँ की जानकारी और जानते हैं। पतित पावनी हर हर स्वर करती भगीरथी के किनारे मंदिर का दर्शन आज करेंगे।और मंदिर की परम्परा को जानेगें।तो अब शुरू करते हैं।

| Char Dham Yatra – Gangotri Darshan, Day 16 |


सौलहवाँ दिन–गंगोत्री दर्शन

गंगोत्री मंदिर दर्शन

मंदिर की देव परंम्परा को जान लेने के बाद आज हम मंदिर मे माँ का दर्शन करेंगे।सब लोग मंदिर कथा सुनने के बाद मंदिर मे दर्शन की लाईन मे लगे है।चिलचिलाती धूप,पहाड़ो से आ रही जाम देने वाली ठण्ड से बचा रही है सभी भक्त लाईनों मे खड़े होकर माँ का जयकारा लगाते हैं।भक्तों की आस्था भीड़ की परवाह किये बिना आगे बढ़ती है।सामने ये भव्य मंदिर और मंदिर गृभ ग्रह मे बैठी गंगा महारानी सब भक्तों के पाप खत्म करती है।माँ की कृपा से सब संकट टल जाते हैं।मोक्षदायिनी गंगा के पास जो भी पवित्र भाव से जाता है।माँ उसको हर बुरे कर्म से मुक्त करती है।पर ये जरूरी है कि जब भी आप जाऐं तो जरूरी है आपका भाव सच मे ऐसा ही होना चाहिए जैसे आप सब कुछ माँ पर समर्पित करने जा रहे हो।इसांन किसी की छोटी सी गलती पर भी सामने वाले का त्याग कर देता है,भला बुरा कहने लगता है क्योंकि सत्यता ये है कि उसे कभी खुद पर भरोसा नही होता।पर माँ खुद तक आने वाले छोटे बड़े भले बुरे हर किसी को गले लगाकर उसे पवित्र कर देती है।।भक्तों की जय कार और किनारे पे बहती माँ गंगा का स्वर हर हर की ध्वनि करता हैै।गंगा का वेग बहुत तीव्र है।मंदिर के भीतरमाँ प्रतिमा के रुप मे विराजमान हैं।उनका दर्शन आलौकिक है।उनका ये रूप देख आंखे नम हो जाती हैं।और देवी हर पाप क्षमा करो ये ही प्रार्थना मन मे गूंजने लगती हैं।मंदिर मे माँ का दर्शन पाने के बाद गंगा घाट की ओर बढ़ते हैं ।

| Char Dham Yatra – Gangotri Darshan, Day 17 |


सतारहवाँ दिन—गंगोत्री दर्शन

माँ गंगा के पावन धाम के दर्शन पाकर सबका जीवन सफल हो गया।,आज हम गौमुख के बारे मे जानेगे।जहाँ से माँ भगीरथी लोक कल्याण के लिए निरंतर धारा के रूप मे बह रही हैं।यहाँ तक पहुँचना हर किसी श्रदालु के लिए पहुँच पाना आसान नही है।क्योंकि गंगोत्री से गोमुख तक खड़ी चढ़ाई चढ़कर जाना पड़ता है।तो बहुत कम लोग गोमुख जाते हैं।अौर गंगोत्री आऐ लोग माँ को गगोत्री मे ही माथा टेक वापिस लौट जाते हैं ।कई साल पहले ये मार्ग हर किसी के लिए खुला था।पर लोगों की बढ़ती संख्या से गोमुख ग्लेशियर पिघलने लगा ।और अब पूरे दिन गिनती के 15, 20 लोगों को ही जाने की अनुमति मिलती है।आइये जानते हैं।गोमुख और कुछ अन्य जगहों के दर्शन पाते हैं।

| Char Dham Yatra – Gangotri Darshan, Day 18 |


अठारहवाँ दिन—गंगोत्री दर्शन

गंगोत्री से गौमुख का दर्शन पाकर जीवन धन्य हुआ।ये वो स्थान है।जहाँ से मोक्षदायिनी गंगा संसार के कल्याण के लिए निरंतर बहती जा रही है।पर यात्रा यही पर खत्म नही होती।गौमुख से आगे सुंदर आलौकिक स्वर्ग कही जाने वाले जगह तपोवन है।तपोवन साधना की आलौकिक शक्तियों और वहाँ बैठे कई अदृश्य सतों की भूमि है।तपोवन का अर्थ ही तप की भूमि है,वो स्थान जहाँ इसांन अगर एक घण्टा भी आखं बंद कर बैठ जाऐ।तो जन्म जन्म सिद्ध हो जाऐ।पूरी धरती ऐसे कई सुंदर स्थानों से भरी पड़ी है।परंतु बहुत कम ऐसे स्थान हैं जिनकों ऋषि-मुनियों ने अपने साधना के लिए चुना।मोक्षदायिनी गंगा जहाँ से संसार के कल्याण के लिए बह रही है।वो स्थान साधारण तो हो भी नही सकता।