| Char Dham Yatra in Hindi |

| Char Dham Yatra – Kedar Darshan, Day 39 |


उनतालीसवाँ दिन–केदार दर्शन

केदारनाथ मंदिर के पीछे की शिला – भीम शिला

केदारनाथ में 16 जून 2013 को एक भीषण बाढ़ आई। जून में बारी बारिश के दौरान वहां बादल फटे थे।केदारनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर के पास तेज वारिस के कारण एक झील बन गई, जिसके टूटने से उसका सारा पानी तेजी से नीचे आ गया। यह एक बहुत बड़ी जल प्रलय थी।16 जून को शाम करीब 8 बजे के बाद अचानक जब मंदिर के पीछे ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता दिखा। इसके बाद तीर्थयात्रियों ने मंदिर में शरण ली। रातभर लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते दिखे। मंदिर के चारों ओर जल प्रलय था। वो प्रलय प्रकृति का सबसे भयानक रुप था।लाखों श्रदालु उस प्रलय का शिकार हो गए। पानी, रेत, चट्टान, पत्थर और मिट्टी के सैलाब ने पूरी केदार घाटी के पत्ते-पत्ते को उजाड़ दिया। पहाड़ों में धंसी बड़ी-बड़ी मजबूत चट्टाने भी टूटकर पत्थर बन गई थी। उस सैलाब के सामने कोई नहीं टिक पाया।तेज बहाब के कारण मंदिर पर भी खतरा मंडराने लगा।बहाब इतना तेज था कि मंदिर का टिका रहना एक चमत्कार से कम नही था।मंदिर के अन्दर लोग जान बचाए खड़े थे।हर कोई भोलेनाथ से इस प्रलय को शांत करने के लिए चिला रहा था।केदारनाथ के दो साधुओं की मानें तो एक चमत्कार ने मंदिर और शिवलिंग को बचाया। 16 जून को जब सैलाब आया तो इन दोनों साधुओं ने मंदिर के पास के एक खंबे पर चढ़कर रातभर जागकर अपनी जान बचाई थी। खंबे पर चढ़े साधुओं ने देखा कि मंदिर के पीछे के पहाड़ से बाढ़ के साथ अनुमानित 100 की स्पीड से एक विशालकाय डमरूनुमा चट्टान भी मंदिर की ओर आ रही है, लेकिन अचानक वह चट्टान मंदिर के पीछे करीब 50 फुट की दूरी पर रुक गई। ऐसा लगा जैसे उसे किसे ने रोक दिया हो।उस चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया और पानी मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। उस वक्त मंदिर में 300 से 500 लोग शरण लिए हुए थे। साधुओं के अनुसार उस चट्टान को मंदिर की ओर आते देख उनकी रूह कांप गई। उन्होंने केदार बाबा का नाम जपना शुरू कर दिया और अपनी मौत का इंतजार करने लगे थे, लेकिन बाबा का चमत्कार की उस चट्टान ने मंदिर और उसके अंदर शरण लिए लोगों को बचा लिया

| Char Dham Yatra – Kedar Darshan, Day 40 |


चालीसवाँ दिन –केदार दर्शन

मंदिर की महिमा जानने के बाद,अब हम मंदिर दर्शन पायेंगे।लम्बी लाईनों के बीच सब भक्त प्रभु दर्शन पाने के लिए आगे बढ़ने लगे,कोई भजन गा रहा हैै,तो कोई जयकार लगा रहा है।हर कोई महादेव का हो जाना चाहता है।मंदिर के बाहर बैठे नदी महाराज इस मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं।जैसे ही मदिर के मुख्य द्वार मे प्रवेश होते हैं।आप महसूस कर सकते हैं।वहाँ की शक्ति को।बस अब वो वक्त आ गया।जब भगवान सामने थे।हर कोई भगवान का दर्शन पाकर पूजा अर्चना कर भगवान से लिपट गये उस दिव्य लोक में भगवान का दर्शन शब्दों मे लिखा नही जा सकता।वो दर्शन केवल अनुभव है।और उसे पाने के लिए।स्वयं ही वहाँ तक चलकर जाना होगा।दर्शन से मन कहाँ भरता है।पर समय रहते।सब बाहर आ गये।मंदिर के प्रांगण में बैठकर संकर्तिन गूंजने लगा।आगे मंदिर और पीछे हिमालय की चोटियाँ ,मानो साक्षात् कैलाश मे शिव की महिमा का अवसर प्राप्त हो गया।भगवान बहुत प्रसन्न थे।कोई भी वापिस आना नही चाहता था।मन मे ढेरों यादें और भगवान का प्रेम आखों से आंसू बनकर बह आया।इस प्रेम को हृदय मे बसा कर अब कदम वापिस नीचे की ओर चलने लगे।हऱ हर महादेव के जयकार से गुजती हर एक वस्तु आपको रोकती है।पर संसार के बंधन कहाँ रुकने देते हैं।शाम होते ही सारा ग्रुप नीचे उतर आया।सब गौरीकुण्ड पहुँच गये।

जारी है—–

| Char Dham Yatra- towards Badrinath, Day 41 |


इकतालीसवाँ दिन—-बद्रीनाथ की ओर

केदार दर्शन के बाद अब हमारा अगला पड़ाब बद्रीनाथ है।भगवान भोले नाथ के दर्शन के बाद अब हम आज चौपता की ओर जायेंगे।चौपता एक बेहद सुंदर जगह है।गौरीकुण्ड से निकलकर बद्रीनाथ के रास्ते आगे बढ़ते हम चौपता आ पहुंचे।आईये जानते हैं कुछ खास बातें चौपता के बारे मे।

| Char Dham Yatra – towards Badrinath, Day 42 |


इकलीसवाँ दिन—-बद्रीनाथ की ओर

चोपता के सौंदर्य निहारने के बाद हम अब तुंगनाथ की यात्रा करेंगे।सर्वप्रथम तुंगनाथ की महिमा जानते हैं।

तुंगनाथ

तुंगनाथ उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है।तुंगनाथ ऊँचे पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर,पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर कई बर्षों पुराना है। और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। मंदिर चोपता से 3 किलोमीटर दूर स्थित है। चोपता से 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके तुंगनाथ पहुँचा जाता है।सुंदर ऊंचे पहाड़ो के बीच बसा ये मंदिर अपनी आलौकिक रूप की छटा बिखेरता है।

| Char Dham Yatra – towards Badrinath, Day 43 |


बतालीसवाँ दिन—-बद्रीनाथ की ओर

तुंगनाथ मंदिर

तुंगनाथ मंदिर भी पंचकेदार श्रृंखला के अन्य मंदिरों की तरह शीतकाल में सर्दी की वजह से बंद रहता हैं तथा शीतकालीन मे उनकी पूजा मक्कू गांव के मार्केंडेय मंदिर में होती है। श्री तुंगनाथ भगवान की उत्सव डोली पैदल यात्रा के साथ तुंगनाथ मन्दिर पहुँचती है।जिसके बाद परंपरागत पूजा अर्चना के बाद कपाट खुलने की प्रक्रिया संपन्न होती हैै।तुंगनाथ पंचकेदार श्रृंखला के ऊंचाई पर स्थित मंदिरों में एक है। चोप्ता और चंद्रशिला की चोटी के मध्य में सुन्दर हिमालयी बुग्याल के बीचों बीच चोटी पर कटुआ पत्थरों से बने मंदिर में भगवान शिव की तृतीय केदार के रूप में पूजा होती है।