नवमाँ दिन–माँ यमुनाजी का इतिहास
कल हम यमुना जी पहुँचे।उनके मंदिर के दर्शन किऐ।मंदिर नित्य पूजा और वहाँ की परम्परा के बारे मे जाना।आज हम माँ यमुना जी के बारे मे जानते है।
दसवाँ दिन-गंगोत्री की ओर
कल हमने माँ यमुनाजी का दर्शन पाया।माँ के पावन जलधारा मे स्नान पाकर जाने अनजाने मे हुऐ पापों की क्षमा पाकर आज हम गंगोत्री की ओर बढ़ेगे।मोक्षदायिनी गंगा माँ अपने पास आने वाले हर भक्त को हर पाप से मुक्त करती हैै।चलो अब चलते हैै।माँ गंगा के दर्शन पाने के लिए ।जय बोलो गंगा माई की—–जय।
ग्यारहवाँ दिन — गंगोत्री की ओर
परम पावन,मनमोहक रमनीय ,जहाँ प्रकृति अपनी छटा बिखेरती हुई,और भगीरथी की कल कल करती आवाज,मदिरों से आती घंटो और मंत्रों पूजन की आवाज ऐसे सुंदर शहर उतरकाशी मे आप सबका स्वागत हैै।ऐसे सुंदर स्थान की महिमा को आज हम सुनेंगे।कल दिन भर सफर के बाद रात्री विश्राम के बाद सुबह जल्दी उठ गयें हैं सब।मदिरों से भरी काशी मे आज हम उतरकाशी के विश्वनाथ मंदिर का दर्शन करेंगे।तो अब सुबह का नाश्ता हो गया हो तो सब एक जगह इकट्ठा हो जायें और जयकार बोलें विश्वनाथ जी की।चलो आगे बढ़ते हैं बोले बाबा की जय।।महाशक्ति मात की जय।
वारहवाँ दिन—गंगोत्री की ओर
उतरकाशी मे विश्वनाथ और शक्ति मंदिर का दर्शन हुआ।और उनसे जुड़ी कुछ पौराणिक बातों को जाना।अब हम आगे की ओर बढ़ते हैं।
धरती पर स्वर्ग कह सकते हैं।ऐसा सुंदर है।वो स्थान जहाँ पहुँच कर शायद स्वर्ग क्या है।उसका ज्ञान मिलता है।तो चलिए आज हम चलेंगे।गंगोत्री से पहले आने वाला एक सुंदर गाँव हरसिल।।
तेरहवाँ दिन–गंगोत्री की ओर
धरती पर जिसे स्वर्ग का दर्जा प्राप्त हो।जहाँ पर्वत नदियां नाले,आसान छुती हिमालय की चोटियाँ,और घने जंगल हर तरफ जहाँ एक ही शब्द गुंज रहा है।सुंदरता,।।ऐसे सुंदर स्थान हरसिल मे कल हम पहुँचे।प्रकृति के आंनद मे सभी डूब चुके हैं।जल्दी जल्दी सब तैयार हो जाओ।आज हम हरसिल के आस पास गाँव का भ्रमण करेंगे।प्रकृति के सौदंर्य से पूर्ण इन स्थानों के दर्शन से ही,जीने का अर्थ बदल जाता है।कुछ पल जहाँ जीवन दुखों का घर लगता है।वहीं इन जगहों का दर्शन पाकर जीवन मे हर जगह सुख आंनद नजर आने लगता है सच कहूँ तो जीने के मायने बदल जाते हैं ऐसी प्राणशक्ति है प्रकृति मे।आगे बढ़ते हैं।