हर युग में तलाशा जाता है सत्य को –
 पर सत्य कही खो जाता है,
 बार-बार दोहरया जाता है यहाँ झूठ ।
 रिन्कचता हैचियुंगम कीभांति सच-
 झूठ के अंधियारे में ।।
 जुगनूकी भांति कुछ पल के लिए चमन कर –
 खो जाता है कही,
 झूठ के काले आचल में ।
 सत्य को तलाशने वाले विरले ही होते है –
 वर्ना लोग तो सच की –
 परछाई में दुबक कर ही रह जाते है
 सत्य कही मिला भी तो लटका दिया गया –
 सूली पर,
 सत्य को तलाशने वाले कभी लोटे नहीं –
 और आज भी सत्य की “तलाश” जारी है ।।