| तलाश, 2014 |


हर युग में तलाशा जाता है सत्य को –
पर सत्य कही खो जाता है,
बार-बार दोहरया जाता है यहाँ झूठ ।

रिन्कचता हैचियुंगम कीभांति सच-
झूठ के अंधियारे में ।।
जुगनूकी भांति कुछ पल के लिए चमन कर –
खो जाता है कही,
झूठ के काले आचल में ।
सत्य को तलाशने वाले विरले ही होते है –
वर्ना लोग तो सच की –
परछाई में दुबक कर ही रह जाते है
सत्य कही मिला भी तो लटका दिया गया –
सूली पर,
सत्य को तलाशने वाले कभी लोटे नहीं –
और आज भी सत्य की “तलाश” जारी है ।।