| Char Dham Yatra – Towards Gangotri, Day 10 |


दसवाँ दिन-गंगोत्री की ओर

कल हमने माँ यमुनाजी का दर्शन पाया।माँ के पावन जलधारा मे स्नान पाकर जाने अनजाने मे हुऐ पापों की क्षमा पाकर आज हम गंगोत्री की ओर बढ़ेगे।मोक्षदायिनी गंगा माँ अपने पास आने वाले हर भक्त को हर पाप से मुक्त करती हैै।चलो अब चलते हैै।माँ गंगा के दर्शन पाने के लिए ।जय बोलो गंगा माई की—–जय।

जानकीचट्टी मे गाड़ियाँ लग गई हैं।सब अपना सामान गाड़ियों मे रख लो।ये चार धाम जाने वाले रास्तों की हालात कुछ ज्यादा अच्छी नही है।2013 में हुई त्रासदी के बाद तो रास्ते और भी खराब हो गए है।तो यहाँ बड़ी बसें ले जाना सम्भव नही है।हमें 12,15 सीटों वाली गाडियों मे ही जाना होगा।अब सब गाड़ी मे बैठ चुके है।अब हम वापिस बड़कोट होते हुये।धरासू होते हुए उतरकाशी पहुँचेगे।

धरासू

धरासू  उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह भागीरथी नदी के किनारे बसा हुआ है।धरासू जानकीचट्टी से 106 किलोमीटर दूर है।भगीरथी की कल कल करती आवाज से ये जगह भी प्रकृति का सुंदर रूप लिऐ हुऐ है।धरासू मे जगह जगह भूस्खलन होते रहते है।ऊंची पहाडियों से पत्थर गिरना मार्ग बंद हो जाना ये एक आम बात है वहाँ।इसलिए गाडियों की गति धीमी हो जाती है।रास्ता बंद होने के कारण सब लोग फोटो ग्राफी का आंनद लें रहे हैं तो कोई समूह बना कर गप्पे मार रहे हैं।बड़ा ही आंनदमय अनुभव होता है।जब सब अलग अलग जगह से आकर इन यात्रमों मे एक परिवार बन जाते हैं।हर सुख दुख एक दूसरे से बोलते हैं।उसी तरह क्यूँ हम बाद मे ये भूल जाते हैं कि हम सब तो एक परिवार ही हैं।क्यूं मत फिर एक दूसरे की देखभाल करना भूल जाते है।खैर अब धीमी गति से आगे बढ़ते कही चाय के लिए रुकते कही उतरकाशी आ पहुँचे।।
चलो अब हम जानते हैं।उतरकाशी के बारे मे

उत्तरकाशी

उत्तरकाशी ऋषिकेश से अगर आप सीधा आते हैं तो वहाँ से155 किलोमीटर का सफर तय कर आप यहाँ हैं। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्टि से एक महत्‍वपूर्ण शहर है। यहाँ भगवान विश्‍वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहां आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं।ट्रेंकिग के शोकीन लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान हैै।ये स्थान गंगोत्री जाने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख स्थान है।चारों ओर पहाड़ों से गिरा हुआ ये स्थान अदभूत है।पुराणों में उतरकाशी को ‘सौम्य काशी’ भी कहा गया है।उत्तरकाशी में ही राजा भागीरथ ने गंगा माँ को धरती पर लाने के लिए तपस्या की थी ।और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि भगवान शिव धरती पर आ रही गंगा को धारण कर लेंगे। तब से यह नगरी विश्वनाथ की नगरी कही जाने लगी और कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।
कल हम जानेगे,उतरकाशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास।

जारी है——-.