“हे राम कब आओगे तुम” by Sri Shivananda, 2014
“हे राम कब आओगे तुम”
राम नही –
रावण एक आदर्श बनचुका है,
मानव का ।
काल की जीत, शक्ति को एकत्रित कर,
पुरे विश्व को
अपना गुलाम बना लेना चाहता है,
| मेरे जीवन की सचाई को इन कुछ शब्दों में लिख रहा हूँ !! मेरा और ओमकर का मिलन !!!! |
जब तक मै था, तू नहीं, अब तू है, मै नही!!
यह भी खूब मज़ा हुआ,
मैं खोजने निकला था तुझे,
जब तक मै था,तू नही मिला,
और अब तू मिला ,तो मैं नही हूँ!
ये मिलन कैसा हुआ?
ये मिलन तो हुआ ही नही!
मिलन तो हुआ लेकिन दो का नही,
एक का ही!!!
जब तेरे सच को जाना ,तो पाया मुझ में हर तरफ़ तू ही तू था!!!
जय विश्व !!
बाबाजी!!