तुम्हारा ख़ुद का मन ही तुम्हारी नहीं सुनता, और तुम निकल पड़ते हो, दूसरों को नसीहत देने के लिए!! तुम्हारा ख़ुद का मन ही तुम्हारे अनुसार काम नहीं करता, और तुम चाहते हो दूसरे तुम्हारे बातों को माने, तुम्हारे बताए ढंग से चलें! इसलिए तुम कभी शांत नहीं हो सकते,इसलिए शांति चाहते हो तो सब से पहले अपने मन को अपने अनुसार चलाये, और दूसरों के चलने के ऊपर से अपनी दृष्टि हटा दें!!जय विश्व!! भोले बाबा!
ज़्यादा महत्वपूर्ण क्या है! जीवन के लक्ष्य का पता लगाना, या मन को उसके दायरों से मुक़्त करना! स्वतंत्र करना!!और जब मन अपने दायरों से मुक्त होता है! तब वो स्वतंत्रता ही स्वयं में उद्देश्य है!क्योंकि आख़िरकार स्वतंत्रता में ही कोई किसी सत्य को खोज सकता है! तो सबसे पहली ज़रूरत है, “स्वतंत्रता”है!ना की जीवन के उदेश्य की तलाश!! जय विश्व!! भोले बाबा!!
जो अशांति से मुक्त है,वह मोक्ष में है! जो अशांति से मुक्त है,वह आत्मा में है! जो अशांति से मुक्त है,वह सदा परमात्मा में है!!जय विश्व!! भोले बाबा!!
Aquel que está libre de perturbaciones está liberado! ¡Está en el Alma unido al Espíritu, libre de inquietud! ¡¡Siempre está en Dios!! ¡¡Jai Vishwa – Victoria del Mundo!! ¡Bhole Baba!
तुम्हारे लिए ये भी सीखने योग्य है कि तुम्हारे बिना भी ज़िंदगी चलती है!!जय विश्व!! भोले बाबा!!
También vale la pena que aprendas que la vida continúa incluso sin ti! ¡¡Jai Vishwa – Victoria del Mundo!! ¡Bhole Baba!
विनम्रता का भी अहंकार होता है, साधुता का भी अहंकार होता है, निरअहंकारिता का भी अहंकार होता है; अहंकार बड़ी सूक्ष्म बात है । इसलिए बुद्ध ने ये नही कहा कि अहंकार छोडो। बुद्ध ने कहा अहंकार समझो!! बिना अहंकार को समझे, उससे मुक़्त हो पाना मुश्किल है!! जय विश्व!! भोले बाबा!!