| Daily Inspirations |

| Daily Inspirations – 25.July.2018 |


Daily Inspiration from Babaji in Hindi, followed by the English translation. Sairam.

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मानो मत” अगर जानना है तो ,और जानने का पहला कदम है’ मानने से मुक्त हो जाना। अगर तुम मुझ से मेरा गणित पूछोगे तो, तुम्हे थोड़ा उल्टा लगेगा।क्योंकि मेरी भी मजबूरी है।”क्योंकि मै सत्य को वैसा ही कहने पे मजबूर हूँ” जैसा वो है।।अगर तुम सच में नास्तिक हो जाओ ,तो कभी तुम आस्तिक भी हो सकते हो।।नास्तिकता और आस्तिकता में कोई विरोध नही है। नास्तिकता सीढ़ी है। प्राथिमक सीढ़ी है, आस्तिक होने के लिए। अगर मेरा बस चले तो मै हर बच्चे को नास्तिक बनाऊं।।और हर बच्चे को सवाल दूँ जिगायासा दूँ ,खोज करने की वजह दूँ , हर बच्चे के मन में तीव्र प्रेरणा दूँ ,”कि तु जानना “मानना मत।। और जब तक तुम न जान लो, “ठहरना मत”बुद्ध ने जाना तो, तो ही पहुंचे ।।नानक ऐशु जिसने भी जाना,तब वो पहुंचे।।उन सवके पहुंचने से तेरा पहुंचना नही होगा। अगर तू जानेगा तो ही तू पहुचेगा। उससे पहले चाहिए कि तुम्हारे चित की स्लेट खाली हो जाये! “पोछं डालो जो भी दूसरों ने लिख दिया है!” धो लो स्लेट को, साफ कर दो उसको। कोरी कर लो तुम्हारी किताब।।क्योंकि कोरी किताबों पर खिलता है वह फूल,कोरी किताबों पर ही आती है वो किरण,,कोरी किताबों पर ही होता है वो विस्फोट। कोरी किताब माने निद्रोष चित। मान्यताओं और विश्वासों से मुक्त ।फिर तुम जान सकोगे “फिर ही “तुम जान सकोगे।भक्ति तो खो गई क्योकिं भगवान का नाम ही लोग भूल गये। भगवान से पेहचान ही न रही। भगवान के और तुम्हारे बीच में पंडित पुजारी न जाने कितने लोग खड़े हो गये ।भगवानअौर तुम्हारे बीच इतनी भीड़ खड़ी है।तुम्हे तो बस लोगों की पीठें दिखाई पड़ रही हैं।

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| Daily Inspirations – 26.July.2018 |


Daily Inspiration from Babaji in Hindi, followed by the English translation. Sairam.

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एक प्रश्न ….. “मै कौन हूँ “मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है। मुझ से पूछते हो।। क्या तुम्हे पता नही, की तुम कौन हो।और दूसरे से पूछ कर जो जबाव तुमको मिलेगा। क्या वो किसी काम आऐगा।मै तुमको कोई भी उतर दे दूँ।। वो तुम्हारा उत्तर न बन सकेगा।तुम को अपना उतर खुद खोजना होगा। प्रश्न तुम्हारा है , उत्तर भी तुम्हारा ही। तुम्हारे प्रश्न को हल करेगा । मै तो तुमसे बोल दूँ, की तुम तो साक्षात ब्रह्म हो ,ईश्वर का स्वरूप हो,पर इस से क्या होगा,मै तो बोल दूंगा तुम तो आत्मा हो। शाश्वत ,अमर हो इस से क्या होगा ,इस तरह के उत्तर तो तुमने सुने हैं- बहुत,इस तरह के उतर तो तुमको भी याद हैं।कंठस्त हैं,ऐसे उतर तो तुम भी दुसरों को दे देते हो।तुम्हारे बच्चे तुमसे से ये सवाल पूछें तो तुम ,ये उत्तर दे दोगे। की तुम ,आत्मा हो,, ईश्वर का रूप हो।पर दुसरों के उतर काम नही आयेंगे कम से कम इस बारे में की” मै कौन हूँ”।

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| Daily Inspirations – 28.July.2018 |


Daily Inspiration from Babaji in Hindi, followed by the English translation. Sairam.

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शून्यता लानी है। शुद्धता नही।मुझसे अगर पूछो तो, मै कहूगां शून्यता ही एक मात्र शुद्धता है।और जहाँ तक मन हैं वहाँ तक कहीं न कहीं अशुद्धता रहेगी! मन है क्या, मन यानी भरा हुआ, मन है क्या विचार,वासना,कल्पना। अतीत भविष्य, बेचैनी, विडम्बना, प्रश्नों का ढेर ।वेवुझ पहेलियाँ, “मन है क्या” सब तरह के झंझालो का नाम “मन” है।इसको कैसे विशुद्ध करोगे। पर “हाँ” इसका अतिक्रमण हो सकता है।इसके पार जाया जा सकता हैं।और इसके पार जाना ही तीर्थ है। और जो पार चला गया उसे मै तीर्थानकर कहूँगा।शून्यता की एक मस्ती है,जो मन को शुद्ध करने मे लगेगा उसमे मस्ती नही हो सकती,वो अक्ड़ा ,अक्ड़ा सा रहेगा।सम्भला ,सम्भला सा रहेगा।क्योंकि पारे सा हैै, ये मन।जरा मे छिटक जाये,जरा मे भटक जाये,जरा में सही हो जाये ,जरा मे खराब हो जाये,देर नही लगती है उसको बिगड़ने मे,क्योंकि वो तो बिगड़ने को आतुर ही बैठा है।उसको तो अवसर चाहिए।क्योंकि जो इसांन मन को शुद्ध करने मे लगेगा वो भगौड़ा हो ही जायेगा वो भागेगा,छिपेगा,घूमेगा,जायेगा पहाड़ मे मंदिर मे,एकांत मे, वो भागेगा ढुनिया से क्योंकि दुनिया मे हजार अवसर हैं,हजार चुनौतियाँ हैं और मन हर चुनौती को स्वीकार कर लेता है,वो कहता है जरा इसका मजा तो ले लूं। और तो कोई मजा तो तुमने जाना नही।

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| Daily Inspirations – 29.July.2018 |


Daily Inspiration from Babaji in Hindi, followed by the English translation. Sairam.

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तुम कैसे खोजोगे,कैसे पता करोगे,कैसे परख करोगे, की कौन गुरू है ,कौन नही।।तुम्हारे पास तरीका ही नही है।। गुरू को परखने का।।तो।। तुम किसी चीज को कैसे खोज सकते हो,तुम बस खोज करो ,तुम बस जानने की लालसा बनाये रखो,तुम जितना ज्यादा “”मै नही जानता” हो जाते हो।।तलाश उतनी ही गहरी हो जाती है।खोजने का मतलब किसी चीज को पाने की कोशिश नही है।।खोजने का अर्थ ये है कि ,आप उसे खोज रहें हैं जिसे आप नही जानते।।अगर आपको खोजना है तो आपको पहले से कोई धारणा नही बनानी चाहिए।आप सबने धारणा बना ली है, भगवान उपर स्वर्ग मै बैठें हैं ,और मै उनकी खोज मे हूँ,ये खोज नही तुम्हारा भ्रम है।खोजने का मतलब है बस खोजना ।और ये तभी सम्भव है जब आपके भीतर”” मैं नही जानता””गहराई में बैठा हुआ हो,अगर तुम्हारे भीतर “मै नही जानता”का खालीपन गहरा हो जाता है,तो सदगुरू तुम तक पहुँच जायेगें।आपको खोजने की जरूरत नही है,क्योंकि आप नही जानते की कैसे खोजा जाये।

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| Daily Inspirations – 31.July.2018 |


Daily Inspiration from Babaji in Hindi followed by the English translation. Sairam.

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तुम कहते हो जिओ “अभी “और यहीं,पर स्वयं को देख कर हमे अभी और यही जीने जैसा नही लगता।।वर्तमान मे जीने के वजाय,भविष्य की कल्पना में जीना ज्यादा सुखद लगता है।तो क्या करें।तो “जीओ”।वैसे ही जीओ।अनुभव बतायेगा, जो सुखद लगता था।वो सुखद है ही नही,तुम्हारे प्रश्न से इतना ही पता चलता है, कि तुम प्रोढ़ नही हो ।कच्चे हो, तुम अभी,अभी जीवन ने तुम्हे पकाया नही है।अभी तुम मिट्टी के कच्चे गडड़े हो ।वर्षा आते ही वह जाओगे।जीवन की आग ने अभी तुम्हे पकाया ही नही!क्योंकि जीवन की आग जिसको पक्का देती है ।उनको ये साफ हो जाता है।क्या साफ हो जाता है।। यही बात साफ हो जाती है। भविष्य में सुख देखने का अर्थ है, कि वर्तमान में दुख है।इसलिए भविष्य के सपने सुखद मालुम होते हैं।जरा सोचो जो आदमी दिनभर भूखा रहा हैं वो रात को सपने देखता है भोजन के,परंतु जिसने रातभर भोजन किया है वो भी रातभर सपने देखता होगा भोजन के,,जो तुमको मिला है उसके तुम सपने नही देखते,जो तुम्हे नही मिला है।उसी के ही सपने देखते हो ।वर्तमान तुम्हारा दुख से भरा है इसको भुलाने को,अपने मन को समझाने को,राहत,सांत्वना के लिए,तुम अपनी आंखे भाविष्य मे टीलोलते हो,कल सब ठीक हो जायगा।उस कल की आशा में ,तुम आज के दुख को जेल लेते हो। मंलिज की आशा में रास्ते का कष्ट कष्ट नही लगता,तुम्हे मालूम पड़ता हैै तुम पहुचने के ही करीब हो, हालांकि वो कभी आता ही नही।।

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