मैने लिख दी हर वो बात जो मेरे ज़हन में थी,अब पढ़ कर कौन कहाँ पहुँचता है,ये उसकी अपनी जिम्मेदारी है!!जय विश्व!! बाबाजी!!
There is no possibility of the door of truth opening where man has ego!! Jai Vishwa!! BABAJI!!!
सुबहा से शाम तक ना मालूम कितने प्रकार के दुखी लोगों से मेरा सामना होता है।एक बात की मै तलाश करता हूँ,की कोई ऐसा दुखी आदमी मिल जाए,जिसके दुःख का कारण कोई और हो!ऐसा इंसान मिल जाए जो बोले उसके दुःख का कारण कुछ और है!जिसके दुःख का कारण वो ख़ुद नही,अब तक ऐसा आदमी खोज नही पाया!क्योंकि दुःख चाहे कोई भी हो,कैसा भी हो,अपने दुःख का कारण तुम ख़ुद ही हो,तुम दुःख को सोचोगे ज़रा जानोगे तो पाओगे इसे तुमने ही जगाया तुमने यें बीज बोया जो एक पेड़ बन कर तुम्हारे सामने खड़ा है,तुम पाओगे इस दुःख का कारण दूसरा कोई नही!दुःख के रूप अलग अलग हैं,लेकिन दुःख की ज़िम्मेदारी सदा ही तुम्हारी ख़ुद की है!!जय विश्व !! बाबाजी!!